भागवत ज्ञान यज्ञ उद्गम ट्रस्ट रुड़की में बगलामुखी अध्यात्म एवं साधना भवन का उद्घाटन

25 वर्षोें से बगलामुखी एवं गढ़वाल साबर मंत्रों के सिद्ध उपासक हैं परम श्रद्धेय आचार्य  लोकेश जी महाराज


देहरादून। अपना परिवार सामाजिक संगठन के तत्वाधन में गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर श्री कृष्ण वैदिक ज्योतिष परामर्श केंद्र एवं भागवत ज्ञान यज्ञ उद्गम ट्रस्ट में बगलामुखी अध्यात्म एवं साधना भवन का उद्घाटन रुड़की में किया गया है।
   संस्थान का उद्घाटन नगर के मेयर गौरव गोयल व अपना परिवार सामाजिक संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष पुरुषोत्तम भट्ट के कर कमलों से किया जाएगा।



   इस अवसर पर देश में चल रही कोविड-19 महामारी को मध्य नजर रखते हुए संस्थान में सोशल डिस्टेंसिंग का पूर्ण विशेष ध्यान रखते हुए एवं संस्थान को सैनिटाइज कर गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर सुंदरकांड संकीर्तन एवं पूजा पाठ का आयोजन भी किया गया। प्रातः 8 बजे से संस्थान के याज्ञिक विप्र मंडली संकीर्तन किया गया।



 विगत 25 वर्षोें से बगलामुखी एवं गढ़वाल साबर मंत्रों के सिद्ध उपासक परम श्रद्धेय आचार्य  लोकेश जी महाराज जो श्री कृष्ण वैदिक ज्योतिष परामर्श केंद्र एवं भागवत ज्ञान यज्ञ उदग्म ट्रस्ट विनायक कंुज के संस्थापक भी है द्वारा रोजाना साधना भवन में कार्यक्रमों की रूप रेखा तैयार की जायेगी। बगलामुखी के उपासक श्रद्धेय लोकेश जी महाराज ने कहा कि माता लोगों के बिगड़े हुए काम बनाती है। उन्होंने कहा कि माता राजयोग की देवी हैं।



इस अवसर पर  बगलामुखी एवं गढ़वाल साबर मंत्रों के सिद्ध उपासक परम श्रद्धेय आचार्य  लोकेश जी महाराज ने कहा माता बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं। इन्हें माता पीताम्बरा भी कहते हैं। ये स्तम्भन की देवी हैं। सारे ब्रह्माण्ड की शक्ति मिल कर भी इनका मुकाबला नहीं कर सकतीण्ख्क्या ये तथ्य है या केवल एक राय है, शत्रुनाशए वाकसिद्धिए वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है। इनकी उपासना से शत्रुओं का स्तम्भन होता है तथा जातक का जीवन निष्कंटक हो जाता है।ख्क्या ये तथ्य है या केवल एक राय है, किसी छोटे कार्य के लिए १०००० तथा असाध्य से लगाने वाले कार्य के लिए एक लाख मंत्र का जाप करना चाहिए। बगलामुखी मंत्र के जाप से पूर्व बगलामुखी कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए। स्वरुप रू नवयोवना हैं और पीले रंग की सा‌‌ङी धारण करती हैं । सोने के सिंहासन पर विराजती हैं । तीन नेत्र और चार हाथ हैं । सिर पर सोने का मुकुट है । स्वर्ण आभूषणों से अलंकृत हैं । शरीर पतला और सुंदर है । रंग गोरा और स्वर्ण जैसी कांति है । सुमुखी हैं । मुख मंडल अत्यंत सुंदर है जिस पर मुस्कान छाई रहती है जो मन को मोह लेता है ।



इस अवसर पर संस्थापक एवं संरक्षक पंडित लोकेश शास्त्राी ने संस्थान में बगलामुखी अध्यात्म एवं साधना भवन के उद्घाटन समारोह में पधारे सभी भक्तजनों का आभार प्रकट किया एवं गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व के समारोह में उपस्थित होने पर सभी का ध्न्यावाद किया।